Nervous system in hindi | मनुष्य का तंत्रिका तत्र |  पूरी जानकारी

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तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) – 

बता दें कि जिस तन्त्र के द्वारा विभिन्न अंगों का नियंत्रण एवं अंगों तथा वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है तो उसे तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) कहते हैं। दरअसल तंत्रिकातंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु एवं इनसे निकलने वाली तंत्रिकाओं की गणना अवश्य की जाती है। तन्त्रिका कोशिका, तन्त्रिका तन्त्र की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई मानी जाती है।

कहा जाता है कि तंत्रिका तंत्र का निर्माण तंत्रिका कोशिका से ही होता है तंत्रिका कोशिकाओं को न्यूरॉन के नाम से भी जाना जाता है न्यूरॉन शरीर की सबसे बड़ी या लंबी कोशिकाएं मानी जाती है। तंत्रिका कोशिकाओं में पुनरुदभन की क्षमता सबसे कम होती है मतलब मस्तिष्क में पुनरुदभवन की क्षमता सबसे कम होती है। यकृत मनुष्य के शरीर का ऐसा अंग होता है जिसमें पुनरुदभवन की संख्या सबसे अधिक होती है.

मनुष्य का तंत्रिका तत्र –

ध्यान रहे कि मानव शरीर का वह तंत्र जो सोचने, समझने एवं किसी वस्तु को याद रखने के साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों के कामों में सामंजस्य और संतुलन स्थापित करने का काम करता है, तंत्रिका तंत्र कहलाता है। यह तंत्रिका तंत्र संवेदी अंगों, तंत्रिकाओं, मस्तिष्क, मेरुरज्जु एवं तंत्रिका कोशिकाओं का बना होता है। तंत्रिकीय नियंत्रण एवं समन्वय का कार्य मुख्यतया मस्तिष्क एवं मेरुरज्जु के द्वारा ही किया जाता है।

सजीवों में सभी अंगों के मध्य समन्वयन स्थापित रखने एवं नियंत्रण का कार्य तंत्रिका के द्वारा ही किया जाता है। दरअसल इसके अंतर्गत सारे शरीर में महिन धागे के समान तंत्रिकाएं फैली रहती हैं यह वातावरणीय परिवर्तनों की सूचनाएं संवेदी अंगों से प्राप्त करके विद्युत आवेशों के रूप में इनका द्रुतगति से प्रसारण किया करती है एवं शरीर के विभिन्न भागों के मध्य कार्यात्मक समन्वय स्थापित भी किया करती है

कहा जाता है कि मनुष्य का तंत्रिका तंत्र बाह्यचर्म(Ectoderm) नामक भुर्णीय जनन स्तर से विकसित होता है। मस्तिस्क,मेरुरज्जु,एवं सभी तंत्रिकाएं मिलाकर एक तंत्रिका तंत्र का निर्माण अवश्य किया करता है।

तंत्रिका तंत्र के कार्य: 

तंत्रिका तंत्र के कार्य इस प्रकार से हैं –

  • बता दें कि तंत्रिका तंत्र विभिन्न अंगों की भिन्न-भिन्न क्रियाओं को पूरी तरह संचालित एवं नियंत्रित करता है।
  • यह समस्त मानसिक कामों का नियंत्रण भलीभांति करता है।
  • दरअसल यह जन्तु को बाहरी वातावरण के अनुसार प्रतिक्रिया करने में बहुत ही सहायता प्रदान करता है।
  • यह विभिन्न ग्रन्थियों तथा ऊतकों के प्रकार्यों में समन्वय बनाकर शरीर के आन्तरिक पर्यावरण का नियन्त्रण करता रहता है।

बता दें कि परिधीय तंत्रिका तंत्र (PNS) दो घटकों में से एक माना जाता है जो द्विपक्षीय जानवरों के तंत्रिका तंत्र को बनाता है, दूसरा भाग केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) है। पीएनएस में मस्तिष्क एवं रीढ़ की हड्डी के बाहर की नसें तथा गैन्ग्लिया होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसका मुख्य कार्य सीएनएस को अंगों एवं अंगों से जोड़ना है, जो आवश्यक रूप से मस्तिष्क एवं रीढ़ की हड्डी और शरीर के बाकी हिस्सों के मध्य एक रिले के रूप में अपना कार्य करता है। सीएनएस के विपरीत, पीएनएस कशेरुक स्तंभ एवं खोपड़ी, या रक्त-मस्तिष्क बाधा के द्वारा संरक्षित नहीं है, जो इसे विषाक्त पदार्थों एवं यांत्रिक चोटों के संपर्क में छोड़ देता है।