Hindi prayer | प्रार्थना क्या है | अन्य महत्वपूर्ण  जानकारी

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आज इस पोस्ट में हम आपकों Hindi prayer in Hindi के बारे में जानकारी देंगे।तंत्र, मंत्र, ध्यान एवं जप भी प्रार्थना का ही एक रूप होता है.

प्रार्थना क्या है –

Hindi prayer बता दें कि प्रभु से अपने मन एवं ह्रदय की बात कहना प्रार्थना होता है. प्रार्थना के माध्यम से मनुष्य अपने या फिर दूसरों की इच्छापूर्ति का प्रयत्न किया करता है. तंत्र, मंत्र, ध्यान एवं जप भी प्रार्थना का ही एक रूप होता है. प्रार्थना सूक्ष्म स्तर पर कार्य करती है एवं प्रकृति को तथा आपके मन को कठिनाइयों के अनुरूप ढाल देती है. कभी कभी बहुत सारे लोगों के द्वारा की गयी प्रार्थना बहुत जल्दी परिणाम पैदा अवश्य करती है. ऐसी दशा में प्रकृति में तेजी से परिवर्तन होने आरंभ हो जाते हैं.

प्रार्थना का अर्थ क्या है – 

प्रार्थना का अर्थ होता है, अपने तन-मन एवं अंतरात्मा को एकाग्र करके शुद्ध मन या वाणी से परमपिता परमेश्वर को अपने अस्तित्व के लिए धन्यवाद देना। प्रार्थना का अर्थ कुछ मांगना या फिर शिकायत करना नहीं है अपितु जो है उसके लिए प्रभु का आभार प्रकट करना। प्रार्थना प्रभु से संवाद करने का सबसे बढ़िया तरीका है।

प्रार्थना की परिभाषा है,आत्मा को परमात्मा से मिलन एवं यदि ऐसा नही होता तो प्रार्थना करने का कोई औचित्य ही नही है। प्रभु ने व्यक्ति को बिना किसी स्वार्थ के उसके जीवन की ज़रूरत के अनुसार‌ सभी वस्तुओं से परिपूर्ण किया है, इसलिए मनुष्य का कर्तव्य होता है वह प्रभु को उसकी उदारता के लिए याद करे। लेकिन व्यक्ति इतना एहसान फरामोश हो जाता है कि वह प्रभु को तभी याद करता है जब उसे कुछ मांगना होता है या फिर कोई शिकायत करनी होती है।

जब व्यक्ति सर्वत्र से थक-हारकर असहाय हो जाता है तभी वह अपने प्रभु से प्रार्थना करता है। दरअसल व्यक्ति अपनी महत्त्वकांक्षाओं की मृगतृष्णा में में पागल होकर अनदेखे अनजाने मार्गो पर सुख एवं शांति की तलाश में भटकता रहता है। लेकिन परम सुख तथा परम शांति तो प्रभु को प्राप्त करने से ही मिलती है। प्रार्थना प्रभु प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग बताया गया है।

इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम सुबह जगने के पश्चात एवं सोने से पहले अपने प्रभु से सच्चे मन से प्रार्थना अवश्य करना चाहिए।

प्रार्थना के नियम क्या हैं –  

  • बढ़िया तरीके से की गयी प्रार्थना जीवन में हमेशा चमत्कारी बदलाव ला सकती है.
  • प्रार्थना सरल एवं साफ़ तरीके से अवश्य की जानी चाहिए.
  • यह उसी तरीके से होनी चाहिए जैसे आप बहुत ही सरलता से कह सकते हों.
  • बता दें कि शांत वातावरण में , विशेषकर मध्य रात्रि में प्रार्थना बहुत ही जल्दी स्वीकृत हो जाती है.
  • प्रार्थना हमेशा एकांत में ही करें , एवं निश्चित समय पर करें तो बहुत ही बढ़िया होगा.
  • किसी दूसरे के नुकसान के उद्देश्य से एवं अतार्किक प्रार्थना कभी भी न करें.
  • यदि दूसरे के लिए प्रार्थना करनी हो तो पहले उस मनुष्य का चिंतन अवश्य करें , तब जाकर प्रार्थना को आरंभ करें.  

प्रार्थना क्यों नहीं स्वीकृत होती है

  • व्यवसाय एवं लेन देन की तरह की प्रार्थना पूरी तरह से असफल हो जाती है
  • आहार एवं व्यवहार पर नियंत्रण न रखने से भी प्रार्थना पूर्ण रूप से अस्वीकृत हो जाती है.
  • अपने माता एवं पिता का सम्मान न करने से भी प्रार्थना एकदम से अस्वीकृत मानी जाती है.
  • यदि प्रार्थना से आपका कोई नुकसान हो सकता है तो भी प्रार्थना अस्वीकृत हो ही जाती है.
  • बता दें कि अतार्किक प्रार्थना भी अस्वीकृत मानी जाती है.

प्रार्थना कैसे करें – 

  • हमेशा एकांत स्थान में ही बैठें.
  • अपनी रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा ही रखें.
  • पहले अपने ईष्ट, गुरु, या फिर प्रभु का ध्यान करें
  • अपनी प्रार्थना को सदैव गोपनीय ही रखें.
  • बार बार, जब भी मौका मिले, तब अपनी प्रार्थना को अवश्य दोहराते रहें.

निष्कर्ष – 

आशा करता हूँ कि हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको अवश्य पसंद आई होगी. अतः आपसे निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से अवश्य जुड़े रहें.