खांसी मनुष्य में होने वाली एक आम बीमारी है। यह सभी मौसम में उत्पन्न हो सकती है। सर्दी के मौसम में यह सभी उम्र के व्यक्तियों को ज्यादा परेशान करती है। खांसी से जितनी परेशानी बच्चों तथा बुजुर्गों को होती है उतनी ही परेशानी व्यस्को में भी देखी गई है। आम खांसी मुख्यतः हमारे शरीर में मौजूद बाहरी पदार्थ जैसे सूक्ष्म जीव, तरल पदार्थ, बलगम इत्यादि को बाहर निकालने के लिए उत्पन्न होती है।आम खांसी 2 से 4 दिनों तक होकर ही खत्म हो जाती है। कभी कभी आम खांसी में भी दवाइयां तथा घरेलू उपचार की जरूरत पड़ सकती है। इस पेज में हम khansi ke gharelu upay in hindi के साथ साथ khansi in English, balghami khansi ka ilaj, kali khansi, sukhi khansi ka ilaj भी बताएंगे|
Khansi In English is called Cough
A sudden, noisy, and violent expulsion of air from the chest, caused by irritation in the air passages, or by the reflex action of nervous or gastric disorder, etc.
Khansi Ki Dawa And Khansi Ke Gharelu Upay In Hindi
दूध और हल्दी
विशेषज्ञों की राय के अनुसार बहुसंख्यक भारतीय रसोई में पाया जाने वाला एक आवश्यक घटक, हल्दी में एक दुरुस्त एंटीऑक्सीडेंट होता है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने में मदद करता है| गर्म दूध में हल्दी मिलाया जाना सर्दी और खांसी से लड़ने के लिए एक आम और प्रभावी उपाय हो सकता है|
हनी और ब्रांडी
यह भी कहा गया है कि ब्रांडी को छाती को गर्म रखने के लिए जाना जाता है क्योंकि यह शरीर के तापमान को बढ़ाता है और ब्रांडी में शहद मिलाने से खांसी से लड़ने में मदद मिलती है|
नमक–पानी से गरारे करें
यह एएन पुरानी चिकित्सा सहायता है जो प्रभावी रूप से खांसी और सर्दी का इलाज करती है. इस प्रक्रिया में नमक वाले पानी में हल्दी मिलाकर गरारे करने से खांसी से लड़ने में मदद मिलेगी |
गुनगुना पानी
डॉक्टरो का मानना है कि खांसी होने पर पर गर्म पानी पिएं क्योंकि यह आम सर्दी, खांसी और गले की खराश से लड़ने में मदद करता है. गर्म पानी गले के भीतर की सूजन को कम करता है और शरीर से तरल पदार्थ और इन्फेक्शन को फिर से भरने में मदद करता है|
Balghami Khansi Ka Ilaj And Sukhi Khansi Ka Ilaj
काली मिर्च और देशी घी
ध्यान दें कि काली मिर्च और देशी घी बलगम वाली खाँसी के लिए रामबाण इलाज होता है। एक चम्मच देशी घी में एक चुटकी काली मिर्च का पाउडर मिला लें और अब इस मिश्रण को हलकी आंच पर गर्म करें। जब घी अच्छे से पक जाए तो दिन में कम से कम 3 बार इसका सेवन करें। इसका सेवन करने से सारा बलगम निकल जाता हैं और खांसी भी ठीक हो जाती है।
तुलसी और शहद
जानकारों का मानना है कि तुलसी प्राकृतिक गुणों की खान होती है और ये आसानी से उपलब्ध भी है। तुलसी के पत्तों का रस निकालकर शहद में मिलाकर मिश्रण बना लें। अब इस मिश्रण को अंगुली से दिन में 5 -6 बार चांटे। ऐसा करने से गले के बलगम वाली खांसी में आराम मिलता है।
अदरक और शहद
विशेषज्ञों का मानना है कि अदरक में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो बलगम को सहज करके गले से नीचे उतार देता है और जो मल के रास्ते निकल जाता है। अदरक को छीलकर उसके छोटे छोटे टुकड़े कर लें। अब इन टुकड़ो को हलकी आंच पर पका लें। अब इन टुकड़ों को एक कटोरी शहद में डुबो दें। अब इन टुकड़ों को दिन में 4 – 5 बार चूसें। ऐसा करने से सारा बलगम निकलकर खाँसी ठीक हो जाती है।
अदरक का रस
अदरक खांसी के लिए नेचुरल दवाई है|अदरक के कुछ टुकड़े 1 कप पानी में उबाल लें, फिर इसमें 2 चम्मच शहद मिलाएं और इसे दिन में 2-3 बार पियें. खांसी में जरुर आराम मिलेगा. इसके अलावा आप अदरक के कुछ टुकड़े ऐसे ही चबा सकती है|
लहसुन खांसी को दूर करे
डॉक्टरो का कहना है कि लहसुन में antibacterial property होती है जो खांसी दूर करने में सहायक होती है. 1 कप पानी में 2-3 लहसुन की कलियाँ डालकर उबालें. इसे थोडा ठंडा कर इसमें शहद डालें और पी लें.
गरम दूध का उपयोग
ध्यान देने वाली बात यह है कि गरम दूध से कफ में आराम मिलता है साथ ही ये सीने के दर्द को भी कम करता है. 1 गिलास दूध में 2 चम्मच शहद मिला कर पियें. इसे आप रात को सोने से पहले पियें. इससे खांसी में आराम मिलेगा|
Kali Khansi
डॉक्टरो का मानना है कि काली खांसी एक अत्यधिक संक्रामक बैक्टीरियल इंफेक्शन है। यह बोर्डेटेला पेट्यूसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है, जो सांस की नालियों में इंफेक्शन फैलाता है। काली खांसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में काफी तेजी से फैलती है। यह मुख्य रूप से बच्चों में होती है, लेकिन जवान और बुजुर्ग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। बैक्टीरिया से संक्रमित होने के लगभग 7 से 10 दिन बाद काली खांसी के शुरुआती लक्षण और संकेत दिखाई देने शुरू हो जाते हैं। शुरुआत में कॉमन कोल्ड की तरह ही लक्षण होते हैं, जैसे हल्की खांसी, छींक आना, नाक बंद होना, नाक बहना और हल्का बुखार होना।
ध्यान रहे कि अगर इंफेक्शन का समय पर ट्रीटमेंट ना किया जाए तो खांसी बार-बार और तेजी से बढ़ने लगती है और सांस लेते समय गले से तेज घरघराहट की आवाज आने लगती है। इसके साथ ही आपको उल्टियां भी हो सकती हैं। 6 महीने से कम उम्र के बच्चों में काली खांसी होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। पब्लिक हेल्थ ओन्टारियो द्वारा किए गए एक स्टडी के अनुसार, ओन्टारियो में खांसी के मामलों को पहले से जाना जाता है, जो बीमारी और बीमारी के फैलने से बचाने के लिए अप-टू-डेट वैक्सीनेशन के महत्व को मजबूत करता है।
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