आजकल जोड़ों का दर्द (jodo ka dard)एक आम समस्या है। बहुत अधिक वर्कलोड व थकान होने पर पर्याप्त आराम न मिलने पर या अन्य कारणों से किसी को भी कम उम्र में जोड़ों का दर्द (jodo ka dard) परेशान कर सकता है। यदि आप जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है, इस पेज में हम आपको जोड़ो के दर्द (jodo ka dard) का इलाज से जुडी जानकारी देंगे | यहाँ jodo ka dard, jodo ke dard ka ilaj, के साथ साथ , jodo ke dard ka ayurvedic ilaj भी बताएंगे |
Jodo Ke Dard Ka Ilaj In Hindi
डॉक्टरों का मानना है कि ऑर्थ्राइटिस से बचना है तो सबसे जरूरी है व्यायाम। हल्के व्यायाम से भी जोड़ों को मजबूत किया जा सकता है। वॉकिंग सबसे बढ़िया तरीका है। तनाव कम लें। मोबाइल के बजाए गार्डन में समय गुजारें। ताजा हवा में सांस लें। घुटने, कमर, गर्दन के हल्के व्यायाम करें।
याद रहे कि हड्डियों की कमजोरी का बड़ा कारण होता है विटामिन डी और कैल्शियम की कमी। इसलिए विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए डेयरी उत्पाद का सेवन बढ़ाएं। साबुत अनाज खाएं। कैल्शियम बढ़ाने के लिए दूध पीएं। ठंड में बादाम युक्त दूध बहुत फायदा पहुंचाता है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि भोजन में शिमला मिर्च, गोभी, प्याज, अदरक, मशरूम, अनानास, कीवी और पपीता को जरूर शामिल करें। इनसे हड्डियों को लचीला रखने में मदद मिलती है। नियंत्रित भोजन करें। हड्डियों में दर्द है तो जमीन पर बैठने से बचें। तली–गली और मसालेदार चीजें खाने से बचें।
विटामिन डी का सबसे अच्छा सोर्स धूप है। ठंड के दिनों में सुबह की धूप में बैठकर सरसों के तेल से हाथ पैर की मालिश करने से हड्डियों में मजबूती आएगी।
Jodo Ke Dard Ka Ayurvedic Ilaj
केवल सौंठ का प्रयोग भी पुराने से पुराने जोड़ों के दर्द में लाभ देता है।
अश्वगंधा,शतावरी एवं आमलकी का चूर्ण जोड़ों से दर्द के कारण आयी कमजोरी को दूर करता है।
गठिया की प्रारंभिक अवस्था में योग एवं प्राणायाम का नित्य प्रयोग संधिवात के कारण उत्पन्न जोड़ों के दर्द को कम करता है।
गठिया के रोगियों को तले भुने भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
हरी पत्तेदार एवं रेशेदार फल सब्जियां कब्ज को ठीक कर जोड़ों के दर्द में लाभ पहुंचाती है।
जोड़ों के दर्द के साथ यदि सूजन हो तो एरंडी एवं निर्गुन्डी के पत्तों की सिकाई दर्द एवं सूजन को कम करती है।
यदि गठियावात (आर्थराईटिस) के दर्द का कारण फेक्टर हो तो गुग्गुलु का प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से करना चाहिए।
गठियावात के कारण उत्पन्न जोड़ों के दर्द में पंचकर्म चिकित्सा अत्यंत प्रभावी है। कुछ छोटी –छोटी बातों एवं सावधानियों का ध्यान रखकर हम जोड़ों के दर्द से राहत पा सकते हैं।
यदि जोड़ों के दर्द का कारण यूरिक एसिड बढऩा है तो भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम कर देनी चाहिए।
सूजन की अवस्था में आसनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
प्रारंभिक अवस्था में यदि जोड़ों के दर्द की शुरुआत हुई हो तो अरंडी के तेल के मालिश भी अत्यंत प्रभावी होते है।
यदि जोड़ों का दर्द बहुत पुराना हो तो बालू की पोटली का सेक भी सूजन से राहत दिलाता है।
सौंठ,मरीच एवं पिप्पली का प्रयोग त्रिकटु के रूप में 1/2 चम्मच नित्य गुनगुने पानी से जोड़ो के दर्द में राहत देता है।
अरंडी की जड़ का चूर्ण 1/2–1 चमच्च लेने से भी गठिया के रोगियों में चमत्कारिक लाभ मिलता है।
दशमूल का काढा भी 10–15 एम.एल. की मात्रा में जोड़ों के दर्द में लाभ पहुंचाता है।