जान ले घर में स्वास्तिक का महत्व । स्वास्तिक बनाते समय किन किन चीजों का रखना चाहिए ध्यान

Swastik | स्वास्तिक बनाते समय किन चीजों का रखना चाहिए ध्यान

Dharma Karma

Swastik चलिए अब बात करते हैं वास्तु शास्त्र के बारे में, वास्तु शास्त्र में हमारी चर्चा का विषय है स्वास्तिक चिन्ह, जिन को शास्त्रों में बहुत ही शुभ माना गया है इसको घर में बनाने से शुभ परिणाम मिलते हैं तो क्या पंडित जी इनकी भी दिशा का कोई महत्त्व है।

स्वास्तिक चिन्ह

स्वास्तिक चिन्ह का वास्तु शास्त्र में बहुत बड़ा महत्त्व है। स्वास्तिक मात्र एक धर्म चिन्ह नही है, स्वास्तिक का मतलब एनर्जी का फ्लों चारो ढंग से होता है। स्वास्तिक बनाते समय बहुत ज्यादा सावधानियां वर्ती जाती हैं। स्वास्तिक का इस्तेमाल हिटलर ने भी किया था और उसने पूरे विश्व को विजय भी कर लिया था।

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जैन धर्म में स्वास्तिक का महत्व

 स्वास्तिक सिर्फ हिन्दू धर्म में ही नहीं, जैन धर्म में भी बहुत बड़ा महत्त्व रखता है।‌ जैन धर्म का मूल साइन भी स्वास्तिक ही है और स्वास्तिक मूलतः गणपति आदि गणेश का साइन है। स्वास्तिक अपने आप में चारो दिशाओं को कंट्रोल करता है सात – बसात के अंदर हर एनर्जी को अपने साथ फ्लों में लेता है और यही चक्र श्री चक्र का बेसिक कांसेप्ट भी है। स्वास्तिक एक ऐसी एनर्जी है जिसको निगेटिव एनर्जी पर लगाने पर उसे डिजोल कर देता है और इसे अगर पॉजिटिव जगह पर लगाया जाय तो उसकी एनर्जी अनहेन्स कर देता है।

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स्वास्तिक लगाने की डायरेक्शन

स्वास्तिक आगे से जितना पॉजिटिव है बैक साइड से उतना ही निगेटिव है इसलिए जिस तरह से गणेश की पीठ होती है उसी प्रकार अगर स्वास्तिक सीधा लगाया जाय बहुत शुभता का परिणाम देता है।

उत्तर दिशा

 इसे अगर उत्तर दिशा में लगाया जाए तो यह कुबेर को इन्फिलेंश करता है। कुबेर को इन्फिलेंशिस को बढ़ा देता है, जिससे धन आगमन होता है।

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पूर्व दिशा

अगर इसे पूर्व दिशा में लगा दिया जाए तो यह व्यक्ति के एनर्जी को उसके ख्याति को बहुत आगे बढ़ा देता है प्रेम संबंधो को अच्छा कर देता है।

उत्तर-पूर्व दिशा

अगर आप इसे उत्तर – पूर्व में लगा देंगे तो यह सौभाग्य को बढ़ा देता है दुर्भाग्य को खत्म कर देता है, अगर इसे फ्लेक्स डायरेक्सन में लगा दिया जाए तो यह व्यक्ति के एक्स्ट्रा एडीशनल इनकम प्रोवाइड करता है अदर डैन उसकी एवरेज सर्विस के रिकोर्डिंग में।

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स्वास्तिक को किस डायरेक्शन में ना लगाएं

इसे लगाने के कुछ डायरेक्सन भी हैं जो मैंने आपको बताये इसे किस डायरेक्सन में नही लगाना चाहिए. यह भी मैं आपको बताना चाहूँगा। इसको साउथ डी डायरेक्सन में कभी नही लगाना चाहिए और अगर इसे लगाया भी जाए तो स्वास्तिक के पीछे स्वास्तिक लगाना चाहिए। ताकि दोनों की पीठ दुर्भाग्य को कैंसिल कर दें, अन्यथा साउथ डी डायरेक्सन पर लगाने पर यह दुर्भाग्य को बढ़ावा देता है। स्वास्तिक का काम होता है किसी भी चीज को बढ़ा देना हाँ इसके घर के  ब्रह्म केंद्र में लगाने से यह पोजिटिव को जन्म देता है और निगेटिव को खत्म करता है।

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स्वास्तिक बनाते समय कौन कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?

स्वास्तिक बनाते समय एक चीज का जरूर ध्यान रखें, स्वास्तिक को कभी भी टेढ़ा न बनाये क्योंकि टेढ़ा स्वास्तिक आपकी बुद्धि को भी टेढ़ा कर देगा। पोजिविटी को भी टेढ़ा कर देगा, पावर बहुत आ जाती है। स्वास्तिक में और स्वास्तिक को कंट्रोल करने के लिए इसके दोनों तरफ डंडे खड़े  होने चाहिए। ताकि इसकी जो एनर्जी है वो समानांतर रहे और वो बढ़े पर इतनी ज्यादा न बढ़े कि हम उसे संभाल न पाए।

दूसरा स्वास्तिक को कई लोग उल्टा बना देते हैं जानबूझकर तांत्रिक प्रयोग के खातिर, उल्टा स्वास्तिक सबसे ज्यादा अशुभ होता है कुछ चीजों को उल्टा घुमा देता है, हाँ उलटे स्वास्तिक का तन्त्र में जरूर प्रयोग है वहाँ पर जहाँ पर चीजे बहुत ज्यादा निगेटिव हो रही हों वो इनको उल्टा घुमा देता है।

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तो इसके अलग – अलग प्रयोग हैं लेकिन आज के लिए लाल कलर से स्वास्तिक बनाएं सर्वाधिक शुभ होता है और सीधा स्वास्तिक बनाएं घर की उत्तर दिशा में, उत्तर – पूर्व दिशा में या पूर्व दिशा में बनाएं सर्वश्रेष्ट होगा दुर्भाग्य दूर होगा, सौभाग्य जाग्रित होगा, धन, वैभव और लक्ष्मी तीनो चीजो का आगमन होगा। तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि हमारे दर्शकों को इसके बारे बहुत कुछ जानने को मिला होगा।

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